दुनिया की शुरूआत - The Beginning of the world

Story -1

 The Beginning of the world

All the good things we have have been given to us by God. He made the sun to give us light during the day. And to give some light in the night, make moons and stars. And yes, he also made the earth for us to live in.

But before God created the sun, the moon, the stars, and the earth, someone else was created. Know who? to the angels. But just as we cannot see God, we cannot see angels. God created them so that they could live with him in heaven.

The first angel to be created was called the Son of God. God loved his son very much. That first angel worked with his Father, God. He helped his father make everything else. Even in making the sun, moon and stars and our earth.

Do you know what the earth was like in the beginning? At that time there was only water on the whole earth and there was darkness all around. That's why no one could live on earth. But God wanted humans to live on earth. So he started preparing for our stay. Do you know what he did?

First, there was a need for light on Earth. So God made the sun shine on the earth. After that there was both day and night on the earth. Then God did something that caused the dry land to come on top of the water.

There was nothing on the ground at that time. No flowers, no trees, no animals. There were no fish in the sea. At that time the earth looked like the picture given here. God still had to do a lot of work on the earth so that humans and animals could live on it.

दुनिया की शुरूआत

हमारे पास जितनी भी अच्छी चीज़ें हैं, वे सब हमें परमेश्‍वर ने दी हैं। उसने हमें दिन में रोशनी देने के लिए सूरज बनाया। और रात में थोड़ी-बहुत रोशनी देने के लिए चाँद-तारे बनाए। और हाँ, हमारे रहने के लिए धरती भी बनायी।


लेकिन परमेश्‍वर ने सूरज, चाँद-तारे और धरती बनाने से पहले और भी किसी को बनाया था। मालूम है किसे? स्वर्गदूतों को। मगर जैसे हम परमेश्‍वर को नहीं देख सकते, वैसे ही हम स्वर्गदूतों को नहीं देख सकते। परमेश्‍वर ने उन्हें इसलिए बनाया, ताकि वे उसके साथ स्वर्ग में रह सकें।


जिस स्वर्गदूत को सबसे पहले बनाया गया, उसे परमेश्‍वर का बेटा कहा गया। परमेश्‍वर अपने बेटे से बहुत प्यार करता था। वह पहला स्वर्गदूत अपने पिता, परमेश्‍वर के साथ काम करता था। उसने बाकी सभी चीज़ें बनाने में अपने पिता की मदद की। यहाँ तक कि सूरज, चाँद-तारे और हमारी धरती को बनाने में भी।



पता है शुरू में धरती कैसी थी? उस समय पूरी धरती पर सिर्फ पानी-ही-पानी था और चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था। इसलिए धरती पर कोई नहीं रह सकता था। मगर परमेश्‍वर चाहता था कि धरती पर इंसान रहें। इसलिए हमारे रहने के लिए उसने तैयारी करनी शुरू की। जानते हैं उसने क्या-क्या किया?


सबसे पहले, धरती पर रोशनी की ज़रूरत थी। इसलिए परमेश्‍वर ने धरती पर सूरज की रोशनी चमकायी। उसके बाद धरती पर दिन और रात दोनों होने लगे। फिर परमेश्‍वर ने कुछ ऐसा किया, जिससे सूखी ज़मीन पानी के ऊपर आ गयी।


उस समय ज़मीन पर कुछ भी नहीं था। न फूल, न पेड़, न जानवर। समुंदर में मछलियाँ भी नहीं थीं। उस वक्‍त धरती यहाँ दी तसवीर जैसी ही दिखती थी। अभी परमेश्‍वर को धरती पर बहुत काम करना था, ताकि इस पर इंसान और जानवर रह सकें।

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